आज हम जानेंगे समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अंतर | Differences between Mitosis and Meiosis.
समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अंतर (Differences between Mitosis and Meiosis)
समसूत्री विभाजन | अर्द्धसूत्री विभाजन | |
1. | समसूत्री विभाजन कायिक कोशिकाओं (Somatic Cells) में होता है, जिसके फलस्वरूप द्विगुणित (Diploid) युग्मक बनते हैं। | अर्द्धसूत्री विभाजन जनन कोशिकाओं (Reproductive cells) में होता है, जिसके फलस्वरूप अगुणित (Haploid) युग्मक बनते हैं जो निषेचन में भाग लेते हैं। |
2. | यह विभाजन केवल एक चरण में पूर्ण होता है। | यह विभाजन दो चरणों में पूर्ण होता है। |
3. | केंद्रक में एक ही विभाजन होता है, किंतु गुणसूत्रों की संख्या संतति कोशिका में समान रहती है। | केंद्रक में दो बार विभाजन होता है जिसके फलस्वरूप चार संतति कोशिकाएँ बनती हैं। फलतः गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिका से आधी रह जाती है। |
4. | इस विभाजन में पूर्वावस्था (Prophase) अपेक्षाकृत सरल व कम अवधि की होती है | पूर्वावस्था पाँच उप-अवस्थाओं में बँटी रहती हैं- (लेप्टोटीन, जाइगोटीन, पैकिटीन, डिप्लोटीन डाइकाइनेसिस)। |
5. | इस विभाजन में क्रॉसिंग ओवर नहीं होता और काइज्मैटा नहीं बनते। | काइज्मैटा बनने व क्रॉसिंग ऑवर होने के कारण ही संतति कोशिकाओं में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। |
6. | इस विभाजन में सेंट्रोमीयर में गुणसूत्र मध्यपट्टिका (Equatorial Plate) पर व्यवस्थित होते हैं तथा fauzita (Double Threaded) होते हैं। |
मेटाफेज I में गुणसूत्र चारसूत्रीय (Four Threaded) हो जाते हैं जबकि मेटाफेज II समसूत्री विभाजन के समान ही होता है। |
7. | इस विभाजन में संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिका के समान ही रहती है। |
इस विभाजन में संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या पैतृक कोशिका से आधी रह जाती है। |
8. | इस विभाजन के परिणामस्वरूप दो संतति कोशिकाओं का निर्माण होता है। | इस विभाजन के परिणामस्वरूप चार संतति कोशिकाओं का निर्माण होता है। |
9. | महत्त्वः समसूत्री विभाजन वृद्धि, मरम्मत आदि के लिये आवश्यक होता है | महत्त्वः (1) लैंगिक जनन करने वाले जीवों में गुणसूत्रों की संख्या समान रखने के लिये आवश्यक। (2) जीवों में विभिन्नताओं के लिये उत्तरदायी। |