कवक किसे कहते है | कवक के प्रकार | kavak in english

कवक किसे कहते हैं

कवक (Fungi) यूकैरियॉटिक जीव हैं जिनमें संवहनी ऊतक (Vascular Tissue) तथा हरितलवक (Chloroplast) नहीं पाए जाते हैं । कवकों की कोशिकाएँ काइटिन (Chitin) एवं सेल्युलोज (Cellulose) से निर्मित होती हैं। इस संघ के अंतर्गत यीस्ट (Yeast) एवं मोल्ड्स (जैसे- मशरुम) जैसे सूक्ष्मजीवों को शामिल किया जाता है।

(kavak in english) कवक एककोशिकीय (Unicellular) तथा बहुकोशिकीय (Multicellular) दोनों प्रकार के होते हैं। एक कोशिकीय कवकों का सम्पूर्ण शरीर जड़, तना एवं पत्तियों में विभाजित न होकर एक थैलस (Thallus) के रूप में विकसित होता है। इसके विपरीत, बहुकोशिकीय कवकों का सम्पूर्ण शरीर धागे के समान संरचनाओं से निर्मित होता है, जिन्हें हाइफे (Hyphae) कहते हैं।

कवक क्या है – कवक जीवाणुओं के समान सर्वव्यापी हैं, ये उन सभी स्थानों पर पाए जाते हैं जहाँ कार्बनिक पदार्थों (Organic Matters) की उपस्थिति होती है। ये पृथ्वी के प्रत्येक पर्यावरण में पाए जाते हैं। कवक जीवाणुओं के समान अधिकांश स्थलीय एवं कुछ जलीय पारिस्थितिक तंत्रों में अपघटक (Decomposer) की भूमिका निभाते हैं।

कवकों में पोषण

कवकों में हरितलवक नहीं पाया जाता है इसलिए ये अपने पोषण के लिए अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं। ये विषमपोषी (Heterotrophic) होते हैं जो मृत अथवा जीवित कार्बनिक पदार्थ से अपना पोषण प्राप्त करते हैं। पोषण के स्रोत के आधार पर कवकों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है –

पोषण के आधार पर कवक के प्रकार

पोषण के स्रोत के आधार पर कवकों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है –

  1. सहजीवी कवक (Symbiotic Fungi)
  2. परजीवी कवक (Parasitic Fungi)
  3. मृतोपजीवी कवक (Saprophytic Fungi)

सहजीवी कवक किसे कहते है

सहजीवी कवक किसी अन्य वनस्पति के साथ उगते हैं तथा एक दूसरे को विभिन्न प्रकार से लाभ पहुँचाते हैं। लाइकेन (Lichen) तथा माइकोराइजा (Mycorrhiza) सहजीवी कवक के प्रमुख उदाहरण हैं।

परजीवी कवक किसे कहते हैं

परजीवी कवक अपने पोषण के लिए अन्य जन्तुओं अथवा पादपों पर निर्भर होते हैं। इस प्रकार के सम्बंध से ये कवक स्वयं तो लाभान्वित होते हैं परन्तु पोषक जीव (Host Organism) को हानि पहुँचाते हैं। एडोथिया पैरासिटिका, निजान पक्सीनिया ग्रमिनिस आदि पादप परजीवी कवक हैं तथा एस्परजिलस अथवा कैन्डिडा अल्बिकन्स मानवों को क्षति पहुँचाने वाले परजीवी कवक हैं।

मृतोपजीवी किसे कहते हैं  (Saprophyte)

सेप्रो (Sapro) का अर्थ है- सड़ा-गला (Rotten) तथा फाइट (Phyte) का अर्थ है पादप (Plant)। सैप्रोफाइटिक अथवा मृतोपजीवी कवक से तात्पर्य उन कवकों से है जो अपना भोजन सड़ें-गले अथवा मृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं।
कुछ विशिष्ट मृतोपजीवी कवकों को मृदा क्षेत्र में उन स्थानों पर देखा जा सकता है जहाँ वे कार्बनिक पदार्थ का विघटन (Decompose) करते हैं। ये कवक विभिन्न भू-जैव रासायनिक चक्रों (Biogeochemical Cycles) में शामिल रहते हैं। म्यूकर (Mucor) राइजोपस (Rhizopus) मॉर्शला (Morchella) आदि मृतोपजीवी कवक के उदाहरण हैं।

कवकों से होने वाला लाभ

अपशिष्ट पदार्थों का अपघटन : म्यूकर, राइजोपस, मॉर्शेला आदि मृतोपजीवी कवक जंतुओं एवं पादपों के अपशिष्ट पदार्थों का अपघटन करते हैं।

भोजन के रूप में प्रयोग : मॉर्शेला, अमेरिकस (Agaricus) अथवा मशरूम आदि कवक सब्जी के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।

उद्योगों में उपयोग : एस्पर्जिलस, पेनीसिलियम (Penicillium) का उपयोग पनीर उद्योग में, यीस्ट का उपयोग एल्कोहल उद्योग में सैकेरोमाइसीज सेरेविसी (Saccharomyces Cerevisiae) का उपयोग बेकरी उद्योग में तथा म्यूकर व साइट्रोमाइबीन का उपयोग साइट्रिक अम्ल के निर्माण में किया जाता है।

एन्जाइम्स का निर्माण : एस्पर्जिलस ओराइजे (Aspergillus Oryzae) नामक कवक से एमाइलेज (Amylase), यीस्ट से इन्वर्टेज (Invertase) तथा पेनीसिलियम से पेक्टिनेज (Pectinase) नामक एन्जाइम का निर्माण किया जाता है।

विटामिन्स का संश्लेषण : स्टेप्टोमाइसीज ग्रिसिकस से विटामिन B , यीस्ट से विटामिन D तथा असबिया गॉसिपी (Ashbya Gossypii) से विटामिन B. (राइबोफ्लेविन) का संश्लेषण किया जाता है।

प्रतिजैविकों का निर्माण : पेनिसिलीन (Penicillin), स्ट्रेप्टोमाइसिन (Streptomycin), नियोमाइसिन च (Neomycin) तथा टेरामाइसिन (Terramycin) आदि प्रतिजैविक विभिन्न कवकों से तैयार किए जाते हैं।

कवकों से होने वाली हानि

विभिन्न पादप रोग : सरसों में सफेद किट्ट रोग (White Rust), आलू में अंगमारी रोग (Early Blight of Potato), चने का विल्ट रोग (wilt Disease of Gram) आदि विभिन्न पादप रोग कवकों के द्वारा होते हैं।

विभिन्न जन्तु रोग : पादपों के : साथ-साथ कवक जन्तुओं में भी विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं। मनुष्यों में फेफड़ों में सम्बंधित रोग (एस्पर्जिलोसिन), दाद (Ringworm), नाखूनों में भूरापन (Onychomycosis), दिमागी बुखार (Meningitis) आदि रोग तथा पशुओं में एथिलीट फुट, म्यूकोमाइकोसिस, पेनिसिलोसिस आदि रोग विभिन्न प्रकार के कवकों के द्वारा होते हैं।

विभिन्न प्रकार के पदार्थों को क्षति : विभिन्न प्रकार के कवक कपड़ों, चमड़े, कागज व लकड़ी से बनी वस्तुओं को नष्ट कर देते हैं।

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