रेडियो सक्रियता क्या है
ऐसे तत्त्व जो स्वतः विघटित होकर विकिरण उत्सर्जित करते हैं, ‘रेडियो सक्रिय तत्त्व’ कहलाते हैं। रेडियो सक्रिय तत्त्वों की इस परिघटना को ‘रेडियो सक्रियता’ कहते हैं। रेडियो सक्रियता की खोज का श्रेय फ्राँसीसी वैज्ञानिक सर हेनरी बेकरेल को प्राप्त है। रेडियो सक्रिय तत्त्वों के उदाहरणः प्लूटोनियम (Pu), थोरियम (Th), यूरेनियम (U), रेडियम (Ra) इत्यादि।
रेडियो सक्रियता के प्रकार
रेडियो-सक्रियता दो प्रकार की होती है-
- प्राकृतिक रेडियो-सक्रियता (Natural Radioactivity)
- कृत्रिम रेडियो-सक्रियता (Artificial Radioactivity)
प्राकृतिक रेडियो-सक्रियता
कुछ तत्त्वों के परमाणु के नाभिक स्वतः विखंडित होकर रेडियो- सक्रिय किरणों का उत्सर्जन करते रहते हैं। यह क्रिया निरंतर सक्रिय रहती है। इस क्रिया अथवा घटना को ‘रेडियो-सक्रियता’ कहते हैं।
उदाहरण– 92U238 → 90Th234 → ……..
कृत्रिम रेडियो-सक्रियता
कृत्रिम रेडियो-सक्रियता (Artificial Radioactivity) कृत्रिम रेडियो-सक्रियता का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जिसमें कोई तत्त्व किसी ज्ञात तत्त्व के ऐसे समस्थानिक में परिवर्तित हो जाता है, जो कि रेडियो सक्रिय है।
14 7N + 42He → 178O + 11H
रेडियो सक्रिय किरणें (Radioactive Rays)
रेडियो-सक्रिय पदार्थों से विघटन की प्रक्रिया के फलस्वरूप जो किरणें निकलती हैं, उन्हें ‘रेडियो-सक्रिय किरणें’ कहते हैं। रदरफोर्ड ने इन किरणों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया-
- अल्फा किरणें ( α )
- बीटा किरणें ( β )
- गामा किरणें ( γ )
अल्फा किरणें ( α )
- α– किरणें धनावेशित हीलियम नाभिक होते हैं।
- विद्युत क्षेत्र से गुजरते समय ये किरणें ऋणात्मक प्लेट की ओर विक्षेपित हो जाती हैं।
- इनकी गतिज ऊर्जा अधिक होती है, क्योंकि इनका द्रव्यमान अधिक होता है।
- द्रव्यमान अधिक होने के कारण इनकी वेधन क्षमता कम होती है।
- ये किरणें जैविक कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं।
बीटा किरणें ( β )
- अत्यंत सूक्ष्म कणों से बनी ये किरणें ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन अथवा पॉजीट्रॉन (ऐसे कण जिनका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के बराबर, लेकिन आवेश ठीक विपरीत होता है) होती हैं।
- इनका द्रव्यमान कम होने की वजह से इनकी गतिज ऊर्जा कम होती है।
- ये गैसों को आयनीकृत करती है।
- ये किरणें भी जैविक कोशिकाओं को नष्ट कर सकती हैं।
गामा किरणें ( γ )
- ये किरणें उदासीन होती हैं।
- ये विद्युत चुंबकीय तरंगें होती हैं, जो उच्च ऊर्जा के फोटॉन
- होते हैं। इन तरंगों की तरंग दैर्ध्य अति लघु होती है।
- इन किरणों का वेग प्रकाश के वेग के बराबर होता है।
- ये किरणें अपने मार्ग पर बहुत तीव्र गति से गमन करती हैं, जिससे इनकी भेदन क्षमता एवं B किरणों की तुलना में अधिक होती है।
- इनकी गतिज ऊर्जा कम होने की वजह से गैसों को आयनीकृत करने की इनकी क्षमता कम होती है।
- ये किरणें भी जैविक कोशिकाओं को नष्ट कर सकती हैं।