वैद्युत क्षेत्र तथा वैद्युत बल-रेखाएँ किसे कहते हैं, वैद्युत बल-रेखाओं के गुण

वैद्युत क्षेत्र किसे कहते हैं

किसी वैद्युत आवेश अथवा आवेश-समुदाय के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें कोई अन्य आवेश आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण के बल का अनुभव
करता है ‘वैद्युत क्षेत्र‘ अथवा ‘वैद्युत बल-क्षेत्र‘ कहलाता है। यदि वैद्युत क्षेत्र में रखा आवेश चलने के लिए स्वतन्त्र हो तो वह बल की दिशा में चलने
लगेगा। यदि बल की दिशा निरन्तर बदल रही है तो आवेश के चलने की दिशा भी निरन्तर बदलती जायेगी अर्थात् आवेश वक्राकार मार्ग पर चलेगा।

वैद्युत बल-रेखाओं के गुण लिखिए

  1. ये रेखाएँ धन-आवेश से चलकर ऋण-आवेश पर समाप्त होती हैं।
  2. बल-रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श-रेखा उस बिन्दु पर धन-आवेश पर लगने वाले बल की दिशा को प्रदर्शित करती है।
  3. कोई भी दो बल-रेखाएँ परस्पर काट नहीं सकतीं, क्योंकि उस दशा में कटान-बिन्दु पर दो स्पर्श-रेखाएँ खींची जा सकती हैं जो उस बिन्दु पर बल की दो दिशायें प्रदर्शित करेंगी जो कि असम्भव है।
  4. ये रेखाएँ खिंची हुई लचकदार डोरी की तरह लम्बाई में सिकुड़ने का प्रयत्न करती हैं। इसी कारण विपरीत आवेशों में आकर्षण होता है
  5. ये रेखाएँ अपनी लम्बाई की लम्बवत् दिशा में एक-दूसरे से दूर हटने का प्रयत्न करती हैं। इसी कारण समान आवेशों में प्रतिकर्षण होता है
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र ?

E = F/q

वैद्युत क्षेत्र का SI मात्रक ?

वोल्ट/मीटर होता है.

वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता का विमीय सूत्र ?

[ MLT-3A-1 ].

वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक ?

इसका मात्रक न्यूटन/कुलाम है.


वैद्युत द्विध्रुव क्या है, वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण का सूत्र, SI मात्रक

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