(ardhchalak kise kahate hain) अर्द्धचालक किसे कहते हैं. अर्द्धचालक कितने प्रकार के होते हैं, N टाइप अर्द्धचालक क्या है, P टाइप अर्द्धचालक क्या है. अर्द्धचालक पदार्थ के नाम, अर्द्धचालक पदार्थ कौन कौन से हैं तथा अर्द्धचालक से जुड़े सभी जवाब यहाँ जानें.
अर्द्धचालक किसे कहते हैं
अर्द्धचालक : ऐसे पदार्थ जिनकी चालकता चालकों से कम, लेकिन कुचालकों से अधिक होती है अर्द्धचालक कहलाते हैं. अर्द्धचालकों का यह विशिष्ट गुण उनकी क्रिस्टलीय संरचना के भीतर इलेक्ट्रॉनों की अपनी विशिष्ट स्थिति के कारण होता है। प्रत्येक इलेक्ट्रॉन के ऊर्जा के भिन्न स्तर होते हैं जिनमें परिवर्तन होते रहते हैं, जो ऊर्जा बैंड का निर्माण करते हैं.
ऐसे ऊर्जा स्तर जो संयोजी इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा स्तर में समाविष् होते हैं, संयोजकता बैंड कहलाते हैं। इस बैंड के ऊपर स्थित बैंड को चालन बैंड (Conduction Band) कहते हैं। सामान्यतः चालन बैंड में मुक्ट इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं और यह खाली होता है, परंतु संयोजकता बैंड से कुछ इलेक्ट्रॉन बाह्य ऊर्जा प्राप्त कर चालन बैंड में जा सकते है और इन पदार्थों में चालन का गुण प्रदर्शित करते हैं।
अर्द्धचालक के प्रकार
अर्द्धचालक निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं-
- तात्त्विक अर्द्धचालक (Elemental Semiconductors), जैसे- Si और Ge
- यौगिक अर्द्धचालक जैसे-
अकार्बनिक | कार्बनिक | कार्बनिक बहुलक |
Cds, GaAs CdSe, InP |
एंथ्रासीन मादित (Doped) थैलोस्यानीस |
पॉलीपाइरोल पॉलीऐनिलीन पॉलीथायोफीन |
N टाइप अर्द्धचालक
(N Type Semicondutor ) किसी शुद्ध अर्धचालक (Ge, Si ) में पेंटावलेंट (As, P, Sb) इम्पुरिटी मिला दिया जात है तो इस प्रकार के अर्द्धचालक को N टाइप अर्द्धचालक कहते हैं. N टाइप अर्द्धचालक में इलेक्ट्रोंस कि मात्रा अधिक रहती है।
P टाइप अर्द्धचालक
(P Type Semicondutor ) किसी शुद्ध अर्धचालक (Ge, Si ) में 3 संयोजकता वाला इम्पुरिटी मिला दिया जात है तो इस प्रकार के अर्द्धचालक को N टाइप अर्द्धचालक कहते हैं.
अर्द्धचालक पदार्थ
कुछ अर्द्धचालक पदार्थ निम्न हैं जैसे – सिलिकॉन, जर्मेनियम, कैडमियम सल्फाइड, गैलियम आर्सेनाइड इत्यादि अर्धचालक पदार्थ के उदाहरण हैं.
अर्धचालकों के विशेष गुण
- अर्द्धचालकों में नियंत्रित मात्रा में अशुद्धियाँ डालकर इनकी चालकता को कम या अधिक बनाया जा सकता है।
- इनकी विद्युत चालकता को तानकर (tensile force) या दबाकर भी बदला जा सकता है।
- ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की विद्युत चालकता बढ़ती है