परावैद्युत सामर्थ्य तथा भंजक विभवान्तर किसे कहते हैं

परावैद्युत सामर्थ्य किसे कहते हैं (Paravaidyut samarthya kya hai). Paravaidyut samarthya ki paribhasha. भंजक विभवान्तर किसे कहते हैं ( Bhanjak vibhvantar kya hai, bhanjak vibhvantar in hindi. Bhanjak vibhvantar in english.

परावैद्युत सामर्थ्य - भंजक विभवान्तर किसे कहते हैं

परावैद्युत सामर्थ्य किसे कहते हैं

किसी परावैद्युत पदार्थ के लिये वह अधिकतम वैद्युत क्षेत्र जिसे पदार्थ बिना वैद्युत भंजन के सहन कर सकता है, उस पदार्थ की ‘परावैद्युत सामर्थ्य‘ कहलाती है। प्रत्येक परावैद्युत पदार्थ की एक अभिलक्षणिक परावैद्युत सामर्थ्य होती है।

संधारित्र की प्लेटों के बीच परावैद्युत पट्टिका रखने से संधारित्र पर लगाये जा सकने वाला विभवान्तर V भी सीमित हो जाता है। विभवान्तर V बढ़ाते जाने पर प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र भी बढ़ता जाता है तथा परावैद्युत पट्टिका के अणु अधिकाधिक तनित (stretch) होते जाते हैं। अन्त में एक अवस्था ऐसी आ जाती है जबकि परावैद्युत के अणुओं से इलेक्ट्रॉन अलग होकर, संधारित्र की प्लेटों के बीच चालकीय पथ (conducting path) निर्मित कर देते हैं अर्थात् संधारित्र की प्लेटों के बीच वैद्युत भंजन (electric breakdown) हो जाता है। 

भंजक विभवान्तर किसे कहते हैं

किसी संधारित्र की प्लेटों के बीच वह अधिकतम विभवान्तर जिस पर प्लेटों के बीच रखे परावैद्युत पदार्थ में वैद्युत भंजन होने लगता है, ‘भंजक विभवान्तर‘ कहलाता है।

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