मीटर सेतु का सिद्धांत, मीटर सेतु का चित्र | Meter Setu

मीटर सेतु की रचना, मीटर-सेतु की सहायता से दिए गये तार का प्रतिरोध ज्ञात करें। मीटर सेतु की तार किस धातु की बनी होती है. मीटर सेतु का सिद्धांत क्या है. मीटर सेतु का चित्र. मीटर सेतु का सूत्र. मीटर सेतु के सिद्धांत पर आधारित है।

मीटर-सेतु (Metre-bridge)

किसी चालक (तार) का प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए व्हीटस्टोन-सेतु के सिद्धान्त पर आधारित मीटर-सेतु एक सुग्राही यन्त्र है। इसकी सुग्राहिता पोस्ट-ऑफिस बक्स की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। मीटर-सेतु चित्र 16 में दिखाया गया है। AC , 1 मीटर लम्बा मैंगनिन अथवा कान्सटैन्टन का एक तार है जो एक लकड़ी के आधार पर मीटर पैमाने के सहारे कसा हुआ है।

मीटर सेतु का चित्र

तार का अनुप्रस्थ-काट सभी जगह एकसमान है। तार के सिरे A व C, दो L के आकार में मुड़ी हुई ताँबे की पत्तियों से जुड़े हैं जिनके सिरों पर सम्बन्धक-पेंच लगे हैं। इन पत्तियों के बीच में, दोनों ओर कुछ रिक्त स्थान छोड़कर एक तीसरी ताँबे की पत्ती है जिस पर तीन सम्बन्धक-पेंच लगे रहते हैं। बीच वाले पेंच D को एक शन्टयुक्त धारामापी G से जोड़कर सी कुन्जी (sliding jockey) B से जोड़ देते हैं जिसकी नोंक को तार पर खिसकाकर कहीं भी स्पर्श करा सकते हैं।

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प्रतिरोध ज्ञात करना

जिस तार का प्रतिरोध (S) ज्ञात करना होता है, उसे बिन्दुओं C और D के बीच के रिक्त स्थान में तथा एक प्रतिरोध-बक्स बिन्दुओं A व D के बीच के रिक्त स्थान में लगा देते हैं। बिन्दुओं A व C के बीच एक सेल, धारा-नियन्त्रक तथा कुन्जी र सम्बन्धक-पेचों के द्वारा जोड़ देते हैं। प्रयोग में जब सी-कुन्जी, सेतु के तार AC को किसी बिन्दु B पर स्पर्श करती है तो तार दो भागों में बँट जाता है। ये दो भाग AB तथा BC , व्हीटस्टोन सेतु के P तथा Q प्रतिरोधों का कार्य करते हैं।

सबसे पहले प्रतिरोध-बक्स में से कोई प्रतिरोध R निकालते हैं तथा कुन्जी K को बन्द कर देते हैं। अब सपी-कुन्जी को तार के सहारे खिसकाकर ऐसी स्थिति प्राप्त करते हैं कि कुन्जी को तार पर दबाने से धारामापी G में कोई विक्षेप उत्पन्न न हो। इस स्थिति में बिन्दु B व D एक ही विभव पर हैं तथा बिन्दु B को ‘शून्य-विक्षेप स्थिति’ (null point) कहते हैं। तार के दोनों भागों AB व BC की लम्बाइयाँ मीटर पैमाने पर पढ़ लेते हैं। मान लो तार की AB लम्बाई का प्रतिरोध P तथा BC लम्बाई का प्रतिरोध Q है। तब व्हीटस्टोन-सेतु के सिद्धान्त से-

मीटर सेतु     समीकरण (i)

मान लो AB लम्बाई । सेमी है। तब BC लम्बाई (100 -1) सेमी होगी। अत:

AB का प्रतिरोध P = ρ \frac{l}{a}

तथा BC का प्रतिरोध  Q = ρ \frac{100-l}{a}

जहाँ (ओम-सेमी में) तार के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध है तथा a (सेमी 2 में) तार के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल है। इस प्रकार
\frac{P}{Q}= \frac{l}{100-l}

P/Q का यह मान समीकरण (i) में रखने पर

\frac{l}{100-l} = \frac{R}{S}

अतः    मीटर सेतु का सिद्धांत

R प्रतिरोध-बक्स से निकाला गया प्रतिरोध है तथा । हमने नाप लिया है। अत: इस सूत्र से प्रतिरोध S का मान ज्ञात कर सकते हैं। प्रतिरोध बक्स से भिन्न-भिन्न प्रतिरोध निकालकर कई प्रेक्षण लेते हैं तथा प्रत्येक प्रेक्षण के लिये s का मान ज्ञात कर लेते हैं। इसके पश्चात् अज्ञात प्रतिरोध S तथा प्रतिरोध-बक्स के स्थानों को आपस में बदलकर प्रयोग को दोहराते हैं। गणना में दोनों बार के प्रयोगों से प्राप्त s के मानों का माध्य ज्ञात करते हैं।

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मीटर सेतु की तार किस धातु की बनी होती है?

मीटर सेतु की तार कॉन्स्टैंटन तार की बनी होती है.

मीटर सेतु के सिद्धांत पर आधारित है?

व्हीटस्टोन-सेतु के सिद्धान्त पर आधारित मीटर-सेतु एक सुग्राही यन्त्र है।

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