विसर्ग संधि किसे कहते हैं, विसर्ग संधि की परिभाषा, उदाहरण | Visarg sandhi

Visarg Sandhi – आज हमने आपको विसर्ग संधि के बारे में बताया है की विसर्ग संधि किसे कहते हैं तथा विसर्ग संधि से सम्बंधित और भी बहुत से जानकारियाँ आपको यहाँ दी गई हैं. विसर्ग संधि के सूत्र, विसर्ग के 10 शब्द. विसर्ग संधि के उदाहरण हिंदी में, विसर्ग संधि के प्रश्न.

विसर्ग संधि किसे कहते हैं  

विसर्ग संधि की परिभाषा – “व्यंजन वर्ण के स्वर अथवा व्यंजन’ वर्ण से मेल के कारण होने वाले विकार को विसर्ग संधि कहते हैं।” विसर्ग सन्धि को इस तरह भी परिभाषित किया जा सकता है,

“विसर्ग के बाद किसी स्वर अथवा व्यंजन के आने से विसर्ग में जो परिवर्तन होता है वह विसर्ग सन्धि कहलाता है।”

विसर्ग संधि से सम्बन्धित नियम

(1) यदि विसर्ग के बाद ‘च-छ’ हो तो विसर्ग का श्, ट, ठ हो तो ष्’ और त-थ हो तो स्’ हो जाता है –

: + च       निः + चय = निश्चय
: + छ      निः + छल = निष्छल
: + त्      निः + तार = निस्तार
: + ट्      धनु: + टंकार = धनुष्टंकार

(2) यदि विसर्ग से पूर्व इकार‘ या ‘उकार‘ आए अर्थात् इ/उ स्वर हों तथा विसर्ग के बाद का वर्ण ‘क, ख, प, फ’ हो तो विसर्ग का ‘ष्’ हो जाता है जैसे विसर्ग संधि के उदाहरण –

निः + कपट = निष्कपट
निः + फल = निष्फल
दुः कर = दुष्कर
निः + कारण = निष्कारण
निः पाप = निष्पाप
दु: + कर = दुष्कर

(3) यदि विसर्ग से पूर्व ‘‘ हो और बाद में क, ख, प, फ में से कोई वर्ण हो, तो विसर्ग में वैसा ही रहता है। जैसे-

अन्तः + करण = अन्त:करण
विष: + पान = विष:पान
रजः + कण = रजःकण

विसर्ग सन्धि

(4) यदि ‘इ’, ‘उ’ के बाद विसर्ग हो, और इनके बाद ‘र’ हो तो, ‘इ’, ‘उ’ का ‘ई’, ‘ऊ’ हो जाता है तथा विसर्ग का लोप हो जाता है. उदाहरण –

निः + रज = नीरज
दु: + राज = दुराज

(5) यदि विसर्ग के पूर्व ‘‘ और ‘‘ को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आए तथा विसर्ग के बाद कोई दूसरा स्वर हो या किसी वर्ण का तीसरा, चौथा और पाँचवां वर्ण हो या यर, र, ल, व, ह, हो तो विसर्ग के स्थान पर ‘‘ हो जाता है. विसर्ग संधि के उदाहरण-

निः + अर्थक = निरर्थक

निः + यात = निर्यात

दु: + आत्मा = दुरात्मा

निः + मल = निर्मल

दु: + गुण = दुर्गुण

निः + उत्साह = निरुत्साह

निः + चय = निश्चय

निः + भर = निर्भर

नि: + गम = निर्गम

दु: + मति = दुर्मति

(6) यदि विसर्ग के पहले आए और उसके बाद वर्ग का तृतीय, चतुर्थ या पंचम वर्ण आ जाये या य, र, ल, व, ह रहे तो विसर्ग का हो जाता है और यह उ पूर्ववर्ती अ से मिलकर गुण संधि द्वारा औ जाता है; जैसे-

अध: + गति = अधोगति

मनः + अनुकूल = मनोनुकूल

मन: + बल = मनोबल

मनः + रथ = मनोरथ

मनः + योग = मनोयोग

रजः + गुण = रजोगुण

पय: + द – पयोद

तमः + गुण = तमोगुण

तपः + बल = तपोबल

(7) यदि विसर्ग के आगे-पीछे हो तो पहला और विसर्ग मिलकर उपर्युक्त नियम 6 की तरह ओंकार हो जाता है और बाद वाले अ का लोप होकर उसके स्थान में लुप्ताकार (5) का चिन्ह लग जाता है.  जैसे विसर्ग संधि के उदाहरण –

चतुर्थः + अध्याय = चतुर्थोध्याय
यश: + अभिलाषी = यशोभिलाषी
मनः + कामना = मनोकामना

लेकिन, विसर्ग के बाद अ के सिवा कोई दूसरा स्वर आये, तो यह नियम लागू नहीं होगा, केवल विसर्ग का लोप हो जाएगा, जैसे – अतः + एव = अतएव।

(8) कुछ शब्दों में विसर्ग का लोप हो जाता है तथा वह में बदल जाता है; जैसे-

नमः + कार = नमस्कार
भाः+ कर= भास्कर
पुरः + कार = पुरस्कार

व्यंजन संधि किसे कहते हैं, व्यंजन संधि के उदाहरण

स्वर संधि किसे कहते हैं, स्वर संधि के भेद, उदाहरण

संधि किसे कहते हैं, संधि के भेद

वर्णमाला किसे कहते हैं

Leave a Comment