दाब किसे कहते हैं, दाब का मात्रक, सूत्र, परिभाषा, प्रकार | Pressure in hindi

दाब का si मात्रक क्या है. दाब के प्रकार, दाब किसे कहते हैं. दाब ज्ञात करने के लिए हमें क्या चाहिए. दाब बढ़ाने के लिए क्षेत्रफल कितना होना चाहिए, वाष्प दाब किसे कहते हैं. दाब का सूत्र. वायुमंडलीय दाब किसे कहते हैं. Pressure in hindi.

दाब किसे कहते हैं

परिभाषा : किसी सतह के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाला लम्बवत् बल दाब कहलाता है। दाब एक अदिश राशि है इसका SI मात्रक पास्कल अथवा न्यूटन/मीटर2 है। स्पष्ट है कि, किसी सतह पर पड़ने वाला दाब उस सतह पर आरोपित लम्बवत् बल के अनुक्रमानुपाती तथा सतह के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। विमीय सूत्र [M L−1 T−2] होता है.

अर्थात्, यदि सतह के क्षेत्रफल को अपरिवर्तित रखते हुए बल की मात्रा में वृद्धि एवं कमी की जाए तो सतह पर पड़ने वाले दाब में भी क्रमशः वृद्धि एवं कमी होगी। इसके विपरीत, यदि बल को अपरिवर्तित रखते हुए सतह के क्षेत्रफल में वृद्धि की जाए तो सतह पर आरोपित दाब में कमी होगी तथा यदि क्षेत्रफल में कमी की जाए तो सतह पर आरोपित दाब में वृद्धि होगी।

दाब का सूत्र

P = \frac{F}{A}

P = Pressure
F = Force
A = Area

दैनिक जीवन में दाब के अनुप्रयोग

स्कूल बैग की पट्टियाँ चौड़ी बनायी जाती हैं ताकि उनका पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक हो जाए और बच्चों के कंधों पर कम दाब पड़े।

मनुष्य जब चलता है तो भूमि पर अधिक दाब पड़ता है क्योंकि चलते समय एक समय में सतह (भूमि) पर एक ही पैर लगता है। जबकि खड़े रहने पर भूमि पर अपेक्षाकृत कम दाब पड़ता है, क्योंकि तब मनुष्य के दोनों पैर भूमि पर होते हैं।

सुई एवं कीलों का एक सिरा नुकीला होता है ताकि पृष्ठीय क्षेत्रफल कम रहे और वे सरलता से कपड़ों एवं दीवारों में प्रवेश कर सके।

ट्रैक्टरों के टायर चौड़े होते हैं जिससे रेतीली एवं दलदली भूमि में ट्रैक्टरों द्वारा कम दबाव लगता है अतः वे दलदली व रेतीली भूमि में बिना धंसे गति कर पाते हैं।

इसी प्रकार, नुकीली एड़ियों वाले जूतों की तुलना में चपटे जूतों की सहायता से बालू पर चलना आसान होता है।

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दाब के प्रकार (Types of Pressure)

दाब मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं-

(1) गेज़ दाब (Gauge Pressure)

(2) अवकलन दाब (Differential Pressure)

(3) वायुमण्डलीय दाब (Atmospheric Pressure)

(4) परम दाब (Absolute Pressure)

गेज़ दाब किसे कहते हैं

गेज दाब वायुमण्डलीय दाब के सापेक्ष मापा जाता है। यह किसी निकाय तथा वायुमण्डलीय दाब में अन्तर को दर्शाता है।

परम दाब = वायुमंडलीय दाब + गेज दाब 

यदि किसी निकाय का दाब वायुमण्डलीय दाब से अधिक है तो गेज दाब का मान धनात्मक तथा यदि वायुमण्डलीय दाब से कम है तो ऋणात्मक  होता है। गेज दाब को परम दाब तथा वायुमण्डलीय दाब के अन्तर के रूप में भी दर्शाया जाता है-

वाहनों के टायरों में वायु-दाब मापने के लिए गेज दाब संकल्पना का ही प्रयोग किया जाता है तथा इसके लिए टायर प्रेशर गेज यंत्र का उपयोग किया जाता है। यह टायरों के वायु दाब को psi (Pound Force Per Square Inch) में व्यक्त करता है।

अवकलन दाब किसे कहते हैं

अवकलन दाब किसी एक निकाय के दो बिन्दुओं पर दाब के अन्तर के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह दो भिन्न-भिन्न स्थानों के मध्य दाबान्तर को दर्शाता है। इसका प्रयोग विशेष रूप से मौसम सम्बंधी गणनाओं तथा द्रव एवं गैसों के दाब परिवर्तन के मापने में किया जाता है।

अवकलन दाब का सूत्र

ΔP = P1 – P2

जहां,

ΔP = अवकलन दाब
P1  =  बिंदु 1 पर दाब 
P2
  =  बिंदु 2 पर दाब

वायुमण्डलीय दाब किसे कहते हैं

पृथ्वी की सतह से लगभग 500 किमी. की ऊँचाई तक वायुमण्डल का विस्तार है। किसी स्थान के इकाई क्षेत्रफल (1 वर्ग मीटर) पर उस स्थान से वायुमण्डल के शीर्ष तक के स्तम्भ का कुल भार, उस स्थान पर वायुमण्डलीय दाब कहलाता है।

वायुमण्डलीय दाब पृथ्वी की सतह से ऊँचाई बढ़ने पर कम होता जाता है। यह किसी भी स्थान पर वायु की ऊँचाई के सापेक्ष स्थिर एवं नियत नहीं रहता है बल्कि मौसम एवं ऋतुओं में परिवर्तन के साथ इसमें भी परिवर्तन होता है।

वायुमण्डलीय दाब का मापन पारद बैरोमीटर के द्वारा किया जाता है। इसीलिए इसे बैरोमीट्रिक दाब भी कहा जाता है।

समुद्रतल पर वायुमंडलीय दाब 1.013×105  Pa (101325 पास्कल) होता है, जिसे 1atm से व्यक्त किया जाता है। 1atm दाब 760 मिमी. पारा स्तम्भ के दाब के बराबर होता है।

परम दाब किसे कहते हैं

समुद्रतल पर वायुमण्डलीय दाब सर्वाधिक होता है और ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ इसमें कमी आती है। वह स्थान जहाँ वायुमण्डल समाप्त हो जाता है निर्वात् कहलाता है। निर्वात् में वायुमण्डलीय दाब शून्य हो जाता है। इस प्रकार, निर्वात् के दाब के सापेक्ष मापा गया दाब परम दाब कहलाता है। इसे से प्रदर्शित किया जाता है। परम दाब का मान वायुमण्डलीय दाब तथा गेज दाब का योग होता है-

परम दाब = वायुमंडली दाब + गेज दाब 


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