जीवाणु किसे कहते हैं | जीवाणु की खोज किसने की | जीवाणु से होने वाले रोग

जीवाणु किसे कहते हैं

जीवाणु एक कोशिकीय सरल जीव हैं, जिनकी कोशिका केन्द्रक विहीन होती है। जीवाणुओं को सर्वव्यापी (Omnipresent) कहा जाता है क्योंकि ये ऐसे प्रत्येक स्थान पर पाए जाते हैं जहाँ कार्बनिक पदार्थ उपस्थित होते हैं। उदाहरण : जल, मिट्टी, जीवों के ऊपर एवं उनके भीतर तथा पौधों आदि में।

जीवाणुओं की कोशिका भित्ति पेप्टाइडोग्लाइकेन (Peptidoglycan) से निर्मित होती है तथा कोशिका झिल्ली, प्रोटीनफॉस्फोलिपिड से निर्मित होती है। अधिकांश जीवाणु विषमपोषी होते हैं परन्तु कुछ स्वपोषी भी होते हैं। स्वपोषी जीवाणु प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) अथवा रासायनिक संश्लेषण (Chemical Synthesis) के द्वारा अपना पोषण प्राप्त करते हैं।

कुछ जीवाणु मृतोपजीवी (Saprotrophs) होते हैं अर्थात् वे मृत पादपों एवं जंतुओं से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। जैसे – एजोटो बैक्टर जीवाणु। कुछ जीवाणु सहजीवी होते हैं, जैसे: माइक्रो बैक्टीरियम.

जीवाणुओं की खोज किसने की 

वैज्ञानिक एंटोनी वॉन ल्यूवेनहॉक  ने 1676 ई. में जीवाणु की खोज की थी इसलिए इन्हें जीवाणु विज्ञान का जनक (Father of Bacteriology) कहा जाता है।

जीवाणुओं में जनन (Binary Fission)

जीवाणु द्विविभाजन के द्वारा जनन करते हैं जिसे अलैंगिक जनन कहते हैं, इसमें जनन की दो प्रमुख विधियाँ हैं-

  1. संयुग्मन जनन (Conjugation)
  2. रूपान्तरण जनन (Transformation)

संयुग्मन जनन – दो कोशिकाओं के जुड़ने से आनुवंशिक पदार्थ के आदान-प्रदान को संयुग्मन कहते हैं।

रूपान्तरण जनन – बाह्य माध्यम से डी.एन.ए. (DNA) लेकर अपने आनुवंशिक पदार्थ में परिवर्तन करना रूपान्तरण कहलाता है।

जीवाणु के प्रकार

कुछ जीवाणु अमोनिया, मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड गैसों की उपस्थिति में अमीनो अम्ल का निर्माण करते हैं। इस आधार पर इन जीवाणुओं को तीन वर्गों में बाँटा गया है.

  1. मीथेनोजेंस (Methanogens)
  2. थर्मोएसिडोफिल्स (Thermoacidophiles)
  3. हैलोफिल्स (Halophiles)

मीथेनोजेंस – ये जीवाणु मीथेन का निर्माण करते हैं. उदाहरण –  मीथेनोबैक्टीरिया.

थर्मोएसिडोफिल्स – ये जीवाणु अत्यधिक उष्ण एवं अम्लीय पर्यावरण के प्रति अनुकूलित होते हैं।. उदाहरण – सल्फोलोबस. 

हैलोफिल्स – ये जीवाणु अत्यधिक नमक की सान्द्रता वाले जल में वृद्धि करते हैं। उदाहरण- हैलोबैक्टीरियम.

कुछ जीवाणु जो तरल माध्यम में रहते हैं उनमें धागे के समान कशाभिकाएँ (Flagella) होती हैं, जो इन्हें संचलन (Movement) में सहायता प्रदान करती हैं।

जीवाणुओं से लाभ

भूमि की उर्वरता में वृद्धिः दलहनी फसलों की जड़ों में पाये जाने वाले राइजोबियम जीवाणु वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को ग्रहण करके मृदा की उर्वरता में वृद्धि करते हैं।

दूध का दही में परिवर्तन : लैक्टोबैसिलस नामक जीवाणु दूध में उपस्थित लैक्टोज को लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित करके दूध को दही में परिवर्तित कर देता है।

जैविक खाद का उत्पादन : मृतोपजीवी जीवाणु (Saprophytic Bacteria) जटिल कार्बनकि पदार्थों को सरल रूप में तोड़ने में सहायक हैं। मीथेनोजेनिक बैक्टीरिया कृषि अपशिष्ट, गोबर तथा अन्य अपशिष्ट पदार्थों को खाद (Manure) में परिवर्तित कर देते हैं।

अपमार्जक की भूमिका : कुछ जीवाणु जैसे स्यूडोमोनास (Pseudomonas) कार्बनिक अपशिष्टों (जन्तुओं के मल, गिरी हुई पत्तियों, मांस आदि) को अपघटित (Decompose) करके भोजन प्राप्त करते हैं। इस प्रकार ये प्रकृति को स्वच्छ करने में अपमार्जक की भूमिका निभाते हैं।

रेशों की गुणवत्ता का निर्धारण : कुछ जीवाणु जैसे क्लॉस्ट्रीडियम, स्यूडोमोनास रेशों की गुणवत्ता के निर्धारण में सहायक हैं। जैसे- ये जीवाणु तने एवं पत्तियों के कोमल ऊतकों से रेशों को पृथक करने में सहायता करते हैं।

चाय-कॉफी का उपचार : बैसिलस मेगाथीरियम नामक जीवाणु द्वारा चाय की पत्तियों तथा कॉफी बीन्स की कड़वाहट (Bitterness) कम की जाती है।

प्रतिजैविकों का उत्पादन : कुछ जीवाणु किण्वन के माध्यम से प्रतिजैविकों का निर्माण करते हैं जैसे- स्ट्रेप्टोनोडेसिन का निर्माण स्ट्रेपोकोक्स ग्रीसस से तथा एरिथोमाइसिन का निर्माण स्ट्रेप्टोकोकस थूरीथ्रीड्स से आदि।

जीवाणुओं से होने वाले हानि

भोजन की विषाक्तता : कुछ जीवाणु, जैसे क्लोस्ट्रीडियम बोटुलीनियम एवं स्टैफाइलोकोकस भोजन को विषाक्त बना देते हैं।

विनाइट्रीकरण : थायोबैसिलस एव माइक्रोबैसिलस नामक जीवाणु मृदा में उपस्थित नाइट्रेट, नाइट्राइट एवं अमोनियम यौगिकों को स्वतंत्र नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित कर देते हैं। यह प्रक्रिया पादपों की नाइट्रोजन पूर्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

विसल्फरीकरण : डिस्ल्फो विब्रियों नामक जीवाणु मृदा में उपस्थित सल्फेट को हाइड्रोजन सल्फाइड में परिवर्तित कर देता है। इससे मृदा की उर्वरता प्रभावित होती है।

जीवाणु से होने वाले रोग

जन्तुओं एवं पादपों में अनेक रोग, जीवाणु जनित होते हैं। इनके कुछ उदाहरण निम्नवत् हैं-

रोग के नाम  जीवाणु के नाम
हैजा विब्रियो कॉलेरी से
कुष्ठ रोग माइको बैक्टीरियम लैप्री से
तपेदिक माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से
आलू में शैथिल्य रोग स्यूडोमोनास सोलेनिसिएरम से
फलों में क्राउन गाल रोग एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमेफिसियन्स से

लैंगिक जनन क्या होता है 

जीन क्या होते हैं

कोशिका विभाजन क्या है, कोशिका विभाजन के प्रकार, समसूत्री विभाजन और अर्धसूत्री विभाजन

FAQ

जीवाणु क्या है?

जीवाणु एक कोशिकीय सरल जीव हैं, जिनकी कोशिका केन्द्रक विहीन होती है। जीवाणुओं को सर्वव्यापी (Omnipresent) कहा जाता है क्योंकि ये ऐसे प्रत्येक स्थान पर पाए जाते हैं जहाँ कार्बनिक पदार्थ उपस्थित होते हैं।

जीवाणु की खोज किसने की?

वैज्ञानिक एंटोनी वॉन ल्यूवेनहॉक  ने 1676 ई. में जीवाणु की खोज की थी इसलिए इन्हें जीवाणु विज्ञान का जनक (Father of Bacteriology) कहा जाता है।

जीवाणु से होने वाले रोग?

हैजा, कुष्ठ रोग, तपेदिक.

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