क्रिया विशेषण अव्यय किसे कहते हैं, उदाहरण | Kriya visheshan avyay in hindi

क्रिया विशेषण अव्यय किसे कहते हैं

क्रिया विशेषण अव्यय “किसी भी क्रिया शब्द की विशेषता बतलाने वाले शब्द क्रिया विशेषण कहलाते हैं। उदाहरण 1. मीरा मधुर गाती है।
2. कोयल अपने मधुर स्वर से सभी का मन मोह लेती है।
3. राम बहुत थक गया है।
4. हवा धीरे-धीरे बह रही है।
5. मोहन ने धीरे से कहा।

क्रिया विशेषण के भेद

क्रिया विशेषण के निम्न पांच भेद होते हैं

  1. कालवाचक क्रिया विशेषण
  2. स्थान वाचक क्रिया विशेषण
  3. परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
  4. रीतिवाचक क्रिया विशेषण
  5. स्थितिवाचक क्रिया विशेषण

कालवाचक क्रिया विशेषण

इसमें कार्य होने के समय का ज्ञान होता है। जैसे – आज, कल, अभी, पीछे, अब, जब, तब, कभी-कभी, कब, अब से, नित्य, जबसे, हमेशा से, सदा से, अभी-अभी, तभी, आजकल और कभी।

उदाहरणा (i) राधा अभी आई है।
(ii) तुम अब जा सकते हो।
(iii) वह परसों आएगा।
(iv) वह सदैव देर से आता है।
(v) कभी-कभी राम शाम को भी घर नहीं आता है।

स्थान वाचक क्रिया विशेषण

क्रिया होने से स्थान या दिशा का ज्ञान होता है। जैसे – यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, आस-पास, दूर-दूर। उदाहरणा -(i) बालक यहाँ नहीं है।
(ii) वहाँ कोई नहीं है।
(iii) राम कहाँ जायेगा ?
(iv) जहाँ रामू है, वहाँ श्याम भी है।

परिमाणावाचक क्रिया विशेषण

जिन विशेषणों से क्रिया की मात्रा या उसके परिमाण का बोध होता है, उसे परिमाणवाचक क्रिया कहते हैं। उदाहरण  (i) वह बिल्कुल थक गया है।
(ii) उतना खाओ, जितना पचा सको।
(iii) वह खूब पानी पीता है।
(iv) वह थोड़ा पैसा मांग रहा है।

दिशा वाचक क्रिया विशेषण

इसमें दिशा का ज्ञान होता है। जैसे- इधर, उधर, जिधर, दूर, परे, अलग, दाहिने, बाँये, आर-पार।

रीतिवाचक क्रिया विशेषण

“जिन अविकारी शब्दों से क्रिया होने की रीति का ज्ञान हो, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। उदाहरण (i) वह आपकी बात ध्यान से सुन रहा है।
(ii) अध्यापक ने रानी को भलीभांति समझा दिया है।
(iii) नि:संदेह श्याम एक ईमानदार बालक है।
(iv) वह दावत में जरूर जायेगा।

रीतिवाचक क्रिया विशेषण के भेद

विधिबोधक– सहसा, हाथों-हाथ, विधिपूर्वक, परिश्रमपूर्वक, धीरे-धीरे, शीघ्र आदि।

निश्चयबोधक– हाँ, अवश्य, जरूर, वास्तव में, बेशक, सचमुच आदि।

अनिश्चयवाचक– शायद, प्रायः, बहुधा, अक्सर, कदाचित।

हेतु बोधक– क्यों, किसलिए, इसलिए, अतः, क्योंकि।

निषेधवाचक– न, नहीं, मत, कभी नहीं, कदाचित्, नहीं।

प्रश्नवाचक– क्यों, कैसे, क्या।

स्वीकृति बोधक– हाँ, हाँजी, ठीक, सच।

अवधारण बोधक– हाँ, भी, मात्र, तो, भर तक आदि।

आकस्मिता बोधक– सहसा, एकाएक, अचानक।

आवृति बोधक– सरासर, फटाफट, धड़ाधड़, खटाखट, झटपट, चुपचाप।

क्रिया विशेषण की रचना

मूल क्रिया विशेषणों के अलावा प्रत्यय, समास आदि के योग से भी कुछ क्रिया विशेषण शब्द बनते हैं। ये निम्नलिखित हैं-

(i) मूल क्रिया विशेषण– जो बिना किसी अन्य शब्द या प्रत्यय के सहयोग के ही काम आते हैं, उन्हें मूल क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे-आजकल, सदा, ऊपर, हमेशा, सदैव, नीचे, ठीक, चाहे, अचानक आदि।

(ii) यौगिक क्रिया विशेषण– जो दूसरे शब्दों में समास या प्रत्यय लगाकर बनते हैं। जैसे- यथा शक्ति, यथावसर, आजन्म, प्रेमपूर्वक, क्षणभर, अनजान, बेशक, चुपके, पहले, धीरे-धीरे, शनैः-शनैः, पुनः-पुनः, रातों-रात, दिनदहाड़े, कभी-कभार, चलते-चलते, कल-परसों, अनुमानतः, रात-दिन आदि।

क्रिया विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्द क्रिया प्रविशेषण कहलाते हैं। जैसे- जरा अधिक ऊँचा बोलिए। लता बहुत मधुर गाती है। घोड़ा बहुत तेज दौड़ता है। खाना खूब जायकेदार है।

समानार्थक क्रिया विशेषण का अंतर

1.अब-अभी– ‘अब‘ में वर्तमान समय का अनिश्चय है तो अभी‘ का अर्थ तुरंत से है। जैसे- अब आप सो सकते हैं।
अभी-अभी आया हूँ।
श्याम अब खाना खा ले।
मैं अभी कहाँ जाऊँगा।

2. तब-फिर– इनमें अंतर यह है कि तब बीते हुए समय का बोधक है और फिर भविष्य की ओर संकेत करता है। जैसे- तब उसने भाषण दिया। तब की बात कुछ और थी।
फिर-फिर अध्यापक क्या कहेंगे?
फिर ऐसा न होगा।

3.कहाँ-कहीं– ‘कहाँ‘ किसी निश्चित स्थान का बोधक है जबकि कहीं किसी अनिश्चित स्थान का परिचायक है। कभी-कभी कहीं’ निषेध के अर्थ में भी प्रयुक्त होता है। जैसे- कहाँ – राघव कहाँ गया ? मैं कहाँ आ गया ? कहाँ राज भोज, कहाँ गंगू तेली।
कहीं– वह कहीं भी जा सकता है।

अन्य अर्थों में भी ‘कहीं‘ का प्रयोग होता है।
(i) बहुत अधिक – वह पुस्तक उससे कहीं अच्छी है।
(ii) कदाचित – कहीं बाघ न आ जाय।
(iii) विरोध – राम की माया, कहीं धूप कहीं छाया।

मत – भीतर मत जाओ।
तुम यह कार्य मत करो।
तुम मत गाओ।

5.’ही’-‘भी‘ – बात पर बल देने के लिए इनका प्रयोग होता है। इनमें अंतर यह है कि ‘ही‘ का प्रयोग एकमात्र तथा भी‘ का अर्थ अतिरिक्त सूचित करता है। ही-राम ही कक्षा में उपस्थित था। भी-श्याम भी प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण हुआ है।

काल किसे कहते हैं, वर्त्तमान काल, भूतकाल, भविष्यतकाल

क्रिया किसे कहते हैं, सकर्मक और अकर्मक क्रिया

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