उर्जा किसे कहते हैं, ऊर्जा के स्रोत क्या है. गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं. ऊष्मीय ऊर्जा किसे कहते हैं. विद्युत ऊर्जा किसे कहते हैं. ऊर्जा का सूत्र क्या है. ऊर्जा का मात्रक क्या है. एनर्जी क्या है. ऊर्जा के लाभ और हानि तथा उर्जा के प्रकार इन प्रश्नों के उत्तर निचे दिए गए हैं.
उर्जा किसे कहते हैं
किसी वस्तु, मशीन, मनुष्य अथवा किसी अन्य जीव द्वारा कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। कार्य के समान ऊर्जा का मात्रक भी जूल है। ऊर्जा एक अदिश राशि है। ऊर्जा का SI पद्धति में मात्रक जूल है।
उर्जा के प्रकार
ऊर्जा विभिन्न वस्तुओं में पायी जाती है इसलिए ऊर्जा के विभिन्न स्वरूप हैं, जैसे-
यांत्रिक ऊर्जा, (Mechanical Energy),
रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy),
विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy),
नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy),
ऊष्मीय ऊर्जा (Thermal Energy) आदि।
ऊर्जा के विभिन्न स्वरूपों को समग्र रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(1) गतिज ऊर्जा
(2) स्थितिज ऊर्जा
गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी गतिशील वस्तु में उसकी गति के कारण उत्पन्न कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं। किसी गतिशील वस्तु की गतिज ऊर्जा की माप कार्य के उस परिमाण से की जाती है, जो उस वस्तु को विरामावस्था से वर्तमान अवस्था अर्थात् उसकी गति अथवा वेग तक लाने में किया गया है।
गतिज ऊर्जा वस्तु के द्रव्यमान (m) तथा उसकी चाल अथवा वेग (V) के वर्ग के गुणनफल के आधे के बराबर होती है।
गतिज ऊर्जा से युक्त वस्तुएँ: चलते वाहन की ऊर्जा, गतिशील हवा की ऊर्जा, दोलन करता हुआ दोलक, चाभी भरी घड़ी आदि।
यदि पिण्ड का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए तो, पिण्ड की गतिज ऊर्जा भी दोगुनी हो जाएगी और यदि पिण्ड का द्रव्यमान घटाकर आधा कर दिया जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा भी आधी हो जाएगी।
यदि किसी गतिशील पिण्ड का वेग बढ़ाकर दोगुना कर दिया जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जाएगी और यदि पिण्ड का वेग घटाकर आधा कर दिया जाए तो उसकी गतिज ऊर्जा एक चौथाई (1/4) रह जाएगी।
गतिज ऊर्जा का सूत्र
गतिज उर्जा (KE) = mV2
स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी पिण्ड की विशिष्ट स्थिति अथवा विशिष्ट संरचना के कारण उस पिण्ड में संचित ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा कहलाती है। इसे PE अथवा U से प्रदर्शित किया जाता है।
स्थितिज ऊर्जा का मापन
माना m द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी तल से h ऊँचाई तक ले जाया जाता है। पिण्ड को ऊपर ले जाने की क्रिया में पिण्ड पर लगे गुरुत्व बल (F= mg) के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। यह कार्य ही पिण्ड में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा (U) = पिण्ड के गुरुत्व बल (F=mg) के विरुद्ध । ऊँचाई तक उठाने में किया गया कार्य।
U = पिण्ड का भार × ऊँचाई |
U = mgh
स्थितिज ऊर्जा के प्रकार
स्थितिज ऊर्जा के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा,
2. प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा,
3. स्थिर विद्युत स्थितिज ऊर्जा
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
किसी वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर होती है, जो गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध उस वस्तु को पृथ्वी तल से उच्चतम् स्थिति तक ले जाने में किया जाता है। पृथ्वी तल पर उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा को शून्य माना जाता है।
प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा
किसी वस्तु में उसकी आकृति अथवा विन्यास (Configuration) के कारण संचित ऊर्जा प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा कहलाती है। जैसे- स्प्रिंग को खींचने पर तथा घड़ी में चाबी भरने पर उसमें संचित ऊर्जा।
स्थिर विद्युत स्थितिज ऊर्जा : विद्युत आवेशित कण एक दूसरे को आकर्षित अथवा प्रतिकर्षित करते हैं अर्थात् विद्युत आवेशित निकायों में स्थितिज ऊर्जा होती है, जिसे स्थिर विद्युत स्थितिज ऊर्जा कहते हैं
यदि आवेश विपरीत प्रकार के हैं, तो उनके मध्य आकर्षण बल होता है और यदि आवेश समान प्रकार के हैं तो वे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने पर निकाय की स्थिर विद्युत स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि होती है।
स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज उर्जा में अंतर
(1) स्थितिज ऊर्जा क्रियाशील ऊर्जा नहीं है जबकि गतिज ऊर्जा क्रियाशील ऊर्जा है।
(2) ऊँचाई में परिवर्तन होने पर स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन होता है जबकि वेग में परिवर्तन होने पर गतिज ऊर्जा में परिवर्तन होता है।
(3) ऊँचाई पर विरामावस्था में स्थित पिण्ड में केवल स्थितिज ऊर्जा संचित होती है जबकि ऊँचाई पर अवस्थित गतिशील पिण्ड में स्थितिज तथा गतिज दोनों ऊर्जा होती हैं।
(4) स्थितिज ऊर्जा संचित ऊर्जा हैजबकि गतिज ऊर्जा संचित ऊर्जा नहीं है।
(5) स्थितिज ऊर्जा किसी मानक स्थिति के सापेक्ष होती है जबकि गतिज ऊर्जा किसी स्थिति पर निर्भर नहीं करती है।
ऊर्जा के विभिन्न रूप
सौर ऊर्जा (Solar Energy) : सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। सोलर कुकर, सोलर पेनल आदि सौर ऊर्जा पर आधारित उपकरण हैं।
नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy) : रेडियोधर्मी पदार्थों के नाभिकों के विखण्डन अथवा संलयन से मुक्त ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते है। जैसे- यूरेनियम, थोरियम से प्राप्त ऊर्जा आदि।
यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy) : वस्तु की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा को ही संयुक्त रूप से यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं। चाभी भरी हुई घड़ी, फेंके गए पत्थर, खींचा हुआ तार आदि में यांत्रिक ऊर्जा होती है।
प्रकाश ऊर्जा (Optical Energy) : वह ऊर्जा, जिसके कारण हमें वस्तुएँ दिखाई देती हैं, प्रकाश ऊर्जा कहलाती है जैसे- सूर्य एवं विद्युत बल्ब द्वारा उत्पन्न प्रकाश।
रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy) : किसी रासायनिक प्रक्रिया में मुक्त की गयी ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा कहते हैं। जैसे- कोयला, पेट्रोलियम आदि में संचित ऊर्जा।