अल्प विराम चिन्ह ( , ) | अल्प विराम चिन्ह के प्रयोग | Alp viram chinh

अल्प विराम चिन्ह ( , )

अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग सबसे अधिक होता है। अत: इसके प्रयोग से सम्बन्धित नियमों का पूर्ण ज्ञान आवश्यक है। इसका अर्थ है-“थोड़ी देर के लिए रुकना या ठहरना।

अपनी रचना की अवधि में हर लेखक विभिन्न मानसिक स्थितियों से होकर गुजरता है। कुछ स्थितियों में लेखक कोअल्प विराम का भी उचित प्रयोग करना पड़ता है। अल्प विराम के प्रयोग की स्थितियाँ निम्नलिखित हैं-वाक्य में जब दो या अधकि समान पदों, वाक्यांशों तथा वाक्यों में संयोजक अव्यय ‘और’ की संभावना हो, तब वहाँ अल्प विराम का प्रयोग होता है। जैसे-

पदों में – कृष्ण, बलराम, कंस वध के बाद कारागार गए।
वाक्यों में – माधव रोज आता है, काम करता है और चला जाता है। यहाँ पर दो से अधिक पदों में पार्थक्य दिखाई देता है।

अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग

अंग्रेजी में और (and) के पूर्व अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग विशेष परिस्थिति में करना चाहिए। इसके लिए नियम यह है कि जब दो बड़े वाक्यांशों (clause) अथवा दो बड़े पदांशों (phrases) को ‘and’ जोड़ता है तब इससे पूर्व अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण

राम ने कमरे में प्रवेश किया, देखा और रखी हुई कुर्सी पर बैठ गया।
उसने दुष्ट और हत्यारे डकैत को गोली मार दी किन्तु उसने तेजी से एक ओर झुककर स्वयं को बचा लिया।

इस नियम की अनिवार्यता न होने पर भी कुछ लेखक और शब्द के पूर्व अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग करते हैं।

(1) जहाँ शब्दों को दोहराते समय विचारों की अधिकता के कारण विशेष बल दिया जाय वहाँ अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग होता है।

(i) वह दूर शहर के दूसरे किनारे से आ रहा है।

(ii) रुको भी, कोई रो रहा है।

(iii) नहीं, नहीं यह अन्याय है।

इन्हीं बातों के नाटकीय ढंग से कहने पर अल्प-विराम चिन्ह के स्थान पर विस्मयादि बोधक (!) का प्रयोग करना चाहिए।

(3) यदि वाक्य में कोई अन्तवर्तीत पदांश (Parenthesis) या वाक्य खण्ड का प्रयोग हो तो अल्प विराम का प्रयोग किया जा सकता है।
जैसे- महात्मा गाँधी के युग का ग्राम सेवक, जेल में गया हुआ

(i) सत्याग्रही, कहानी लेखक अब कहाँ है ?

(ii) क्रोध, चाहे जैसा भी हो, मनुष्य को दुर्बल बनाता है।

(iii) मोहन लाल बेटों के नाम, कुल 52,000 रुपए छोड़ गए थे।

हिन्दी कथा साहित्य में इसका प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। इन प्रयोगों से निश्चय ही वाक्य के अन्तर्वर्ती भाव तथा विचार स्पष्ट होते हैं। किन्तु अंग्रेजी में इस प्रकार के प्रयोगों की अति है। वहाँ वाक्य के बीच too, However, is certain, And then, too, there is a further reason, the story, such as it is, may be summarised as follows.

अंग्रेजी की परम्परा के अनुसार हिन्दी में भी अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग निम्न वाक्यों में हुआ है.

(i) निश्चय ही, यह सत्य है।
(ii) किन्तु, मैं ऐसा नहीं मानता।
(iii) और, एक तुम हो।
(iv) अतः उसे आना ही चाहिए।
(v) फिर भी, तुम मेरा यकीन नहीं करते हो।

इस दशा में यह आवश्यक नहीं कि हिन्दी में भी अंग्रेजी के व्याकरण चिह्नों का प्रयोग वैसे ही किया जाये। यह स्वतंत्रता केवल कहानी, रूपक, नाटक और एकांकी तक सीमित होनी चाहिए। इसका कारण यह है कि साहित्य के इन अंगों में मनोभावों का प्रयोग अधिक होता है।

(4) यदि वाक्य के मध्य में, इसी से, इसलिए, किन्तु, परन्तु, अतः, क्योंकि, जिससे, तथापि आदि अव्ययों का प्रयोग हो तो इनके पहले अल्प विराम का प्रयोग होना चाहिए। जैसे-

  • लिपियाँ अलग रह सकती हैं, पर भाषा हिन्दी ही रहे।
  • यह लड़का पढ़ने में तेज है, इसी से लोग इसे चाहते हैं।
  • ऐसा कोई काम न करो, जिससे तुम्हारी बदनामी हो।
  • मैं कल घर जाता, किन्तु एक आवश्यक कार्य आ गया है।
  • वह शारीरिक रूप से कमजोर है क्योंकि उसे पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता।

(5) जहाँ किसी व्यक्ति को सम्बोधित किया जाय, वहाँ अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाना चाहिये। जैसे-

(i) भाइयों, सावधान हो जाओ, आज वह क्षण आ गया है।
(ii) प्रिय महाशय, मैं आपका आभारी हूँ।
(iii) देवियो और सज्जनों, याद रखो, देश पर संकट छाया है।
(iv) महोदय, आप यहाँ से चले जायें।

ऐसी दशा में हमें अंग्रेजी के अनावश्यक अनुकरण से बचना चाहिए। अंग्रेजी में किसी व्यक्ति विशेष का परिचय देते समय उसके नाम से पूर्व तथा बाद में अल्प विराम चिन्ह होना चाहिए।

(i) शेक्सपियर, महान अंग्रेजी कवि और नाटककार, आज भी अमर हैं। हिन्दी में हू-ब-हू अनुवाद, इस भाषा की प्रकृति के प्रतिकूल है।
(ii) शेक्सपियर, महान कवि और नाटककार बड़े विद्वान थे। इस उपर्युक्त वाक्य का सही अनुवाद इस प्रकार होना चाहिए-
(iii) महान कवि और नाटककार शेक्सपियर बड़े विद्वान थे।

(6) यदि वाक्य में प्रयुक्त किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषता किसी सम्बन्ध वाचक सर्वनाम के माध्यम से बतानी हो तो वहाँ अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग निम्नलिखित ढंग से किया जाता है-

(i) मेरा भाई, जो एक इंजीनियर है, इंग्लैण्ड गया है।
(ii) तीनों लड़के, जो स्नातक थे, होटल में नौकर हो गये हैं।
(iii) दो यात्री, जो रेल दुर्घटना के शिकार हुए थे, अब अच्छे हैं।

इसके ठीक विपरीत, दो भिन्न वैकल्पिक वस्तुओं तथा स्थानों को ‘अथवा’ ‘या’ आदि से जोड़ने पर ‘अथवा’, ‘या’ आदि से पूर्व अल्प विराम चिन्ह नहीं लगाया जाता है। जैसे-

(i) कल मोहन अथवा हरि कोलकाता जाएगा।
(7) जिस वाक्य में ‘वह’, ‘यह’,’तब’,’तो’, या ‘अब’ आदि लुप्त हो जाएँ वहाँ अल्प विराम का प्रयोग हो सकता है। जैसे-

(i) मैं जो कहता हूँ, कान लगाकर सुनो (‘वह’ का लोप)।
(ii) उन्हें कब छुट्टी मिलेगी, कह नहीं सकता (‘यह’ का लोप)।
(iii) जब करना ही है, कर डालो (‘तब’ लुप्त है)।

जैसे – राधा ने कहा, “मैं कल दिल्ली जाऊँगी।”

इस वाक्य को इस प्रकार भी लिखा जा सकता है-‘राधा ने कहा कि मैं कल दिल्ली जाऊँगी।’ कुछ व्यक्ति के बाद अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग करते हैं जो अनुचित है। जैसे –

राधा ने कहा कि, मैं कल दिल्ली जाऊँगी। यह भाषा के विचार से भी भद्दा है क्योंकि ‘कि’ स्वयं एक अल्प विराम है। अतः इसके तुरंत बाद एक और अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग व्यर्थ है।

(8) ‘बस’,’हाँ’, ‘नहीं’, सचमुच’, ‘अतः’,’वस्तुतः’ जैसे शब्दों के बाद अल्पविराम का प्रयोग करना चाहिए। जैसे –

(i) बस, हो गया, अब जाने दीजिए।
(ii) हाँ, तुम ऐसा कर सकते हो। अतः, ऐसा अनर्थ मत करो।
(iii) नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।
(iv) सचमुच, वह नादान है।
(v) वस्तुतः, वह सनकी है।
वास्तव में, मैं नहीं जानता।

(9) जब किसी वाक्य में एक से अधिक वाक्यांशों का प्रयोग हो तब अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। जैसे- चाहती थी, ऐसे बोलूँ जैसे कोयल प्रथम किरण से बोलती है, जब वह उसमें स्पर्श की सरसराहट भर देती है।

पूर्ण विराम चिन्ह (।) तथा इसके प्रयोग 

विराम चिन्ह किसे कहते हैं

विसर्ग संधि किसे कहते हैं

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