अनुस्वार किसे कहते हैं, अनुस्वार और अनुनासिक | Anuswar Kise Kahate Hain

अनुस्वार किसे कहते हैं आज हम इसके बारे में जानेंगे की अनुस्वार शब्द क्या है तथा इसका प्रयोग कैसे करते हैं.  Anuswar Kise Kahate Hain इसके बारे में पूरी जानकारी के लिए अंत तक पढ़े.

अनुस्वार किसे कहते हैं

अनुस्वार पूर्ण अनुनासिक ध्वनि है। इन वर्णों के उच्चारण में मुँह बन्द करके नाक से ही पूर्ण साँस ली जाती है जैसे – मंडन, चंपक, खंडन, तंतु, रंक। आज यह दशा है कि शब्द चाहे शुद्ध हो, अशुद्ध हो, देशज या विदेशी-सभी स्थानों में पंचम वर्णों तथा अनुनासिक ध्वनियों का प्रयोग वर्णों पर बिन्दु (.) लगाकर किया जाता है।

हिन्दी में ऐसे वर्णों के प्रयोग में संस्कृत की अपेक्षा अधिक आजादी है। इस प्रकार दोनों ही नियमों का प्रचलन है। ये पंचमवर्णी तथा अनुनासिक ध्वनियों के प्रयोग की आजादी हिन्दी को अधिक आकर्षक, सरल तथा सुगम बनाती है तथा इस मामले में हिन्दी अपनी जननी संस्कृत से आगे निकल गयी है।

अनुनासिक

अनुनासिक‘ ध्वनियों के उच्चारण में नाक से बहुत अधिक साँस निकलती है तथा मुँह से बहुत कम। जैसे-पाँव, आँख, काँख, गाँव, कड़ियाँ आदि। पर अनुस्वार के उच्चारण में नाक से अधिक मात्रा में वायु निकलती है जबकि मुख से कम-चंग, कंघा, वंश आदि। अनुनॉसिक स्वरों पर चन्द्र बिन्दु (*) लगता है जबकि अनुस्वार एक व्यंजन है। इसे प्रकट करने के लिए वर्ण पर बिन्दु लगाया जाता है। तत्सम शब्दों में अनुस्वार का प्रयोग होता है, दूसरी ओर तद्भव में चन्द्र में बिन्दु का प्रयोग होता है-अंगुष्ठ-अँगूठा। कंध-कँधा आदि।

अंतिम वर्ण

हिन्दी के अनुनासिक वर्णों की संख्या 5 है – ङ, ञ, ण, न तथा । ये वर्ण पांचवा या अंतिम अक्षर कहलाते हैं। संस्कृत में शब्द का अंतिम अक्षर जिस वर्ण का हो उसके पहले उसी वर्ण का पहला अक्षर प्रयोग किया जाता है, जैसे – क वर्ग – अङ्क | च वर्ग – चञ्च | ट वर्ग – खण्ड | त वर्ग – सन्धि | प वर्ग – दम्भ किन्तु हिन्दी के विद्वान इस नियम पर ध्यान नहीं देते। लिखाई, छपाई एवं टंकण के कार्य में भी इससे सुविधा होगी।
बाबू श्यामसुन्दर दास ने भी सभी पंचमवर्णी व्यंजनों के स्थान पर अनुस्वार के प्रयोग की सहमति दी है। इससे हिन्दी अपने सरलता तथा सुगमता के सिद्धान्त को बनाये रखती है। इस कार्य द्वारा स्थान भी कम प्रयोग होगा तथा लेखन-कार्य में भी गति आएगी। वर्तमान युग में हिन्दी में इन वर्गों का प्रयोग निम्नवत हो रहा है 
सन्धि – संधि। दम्भ – दंभ। अङ्ग – अंग। खण्ड – खंड। चञ्चु – चंचु आदि प्रमुख हैं।
नोट : अनुस्वार (.) अनुनासिक (*) ये अलग-अलग ध्वनियाँ हैं। इनके प्रयोग में सावधानी आवश्यक है।

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