वाक्य के घटक
जिन अवयवों को लेकर वाक्य की रचना होती है, उन्हें वाक्य के अंग या घटक कहते हैं। वाक्य के मूल अथवा अनिवार्य घटक हैं – कर्ता तथा क्रिया। इनके अभाव में वाक्य की रचना संभव नहीं। उदाहरणार्थ सबसे संक्षिप्त वाक्य इस प्रकार का होगा-
सीता मिली। गीता गाएगी। तू आ। आप पढ़ें। खा ले।
उपरोक्त वाक्यों में एक कर्ता (सीता, गीता, तू, आप) तथा एक क्रिया (मिली, गाएगी, आ पढ़ें)। इनकी सहायता से वाक्य रचना संभव है। अत: कर्ता और क्रिया (अनिवार्य अंग) के अतिरिक्त वाक्य में विशेषण, क्रिया विशेषण और कारक आदि भी होते हैं। ये सभी ऐच्छिक घटक होते हैं।
उद्देश्य और विधेय
कर्ता और क्रिया पक्ष के अनुसार वाक्य के दो पक्ष होते हैं- उद्देश्य और विधेय।
उद्देश्य – वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाय, उसे उद्देश्य कहते हैं। इसमें कर्ता तथा कर्ता का विस्तार (विशेषण, संबंध बोधक, भावबोधक आदि) आते हैं।”
विधेय – उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाए उसे विधेय कहते हैं। इसके अंतर्गत क्रिया, क्रिया का विस्तार, कर्म विस्तार आदि आते हैं। उदाहरणार्थ – इस कक्षा का सर्वश्रेष्ठ धावक धर्मेन्द्र प्रतियोगिता में भाग लेगा। यहाँ इस कक्षा का सर्वश्रेष्ठ धावक धर्मेन्द्र प्रतियोगिता में भाग लेगा। यहाँ इस कक्षा का सर्वश्रेष्ठ धावक धर्मेन्द्र उद्देश्य है। विधेय प्रतियोगिता में भाग लेगा।
उद्देश्य और विधेय के उदाहरण
उद्देश्य | विधेय |
मोहन | बीमार है। |
जगदीश ने | राम को अपना मित्र बनाया। |
मैं | दिल्ली में रहने वाले एक मित्र से मिला था। |
दशरथ पुत्र राम ने | रावण को तीर से मारा। |