पूर्ण विराम चिन्ह (।) तथा इसके प्रयोग | Purn Viram Chinh

पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग कब किया जाता है. पूर्ण विराम चिन्ह मराठी वाक्य. अल्पविराम चिन्ह के उदाहरण. विराम चिन्ह का प्रयोग क्यों किया जाता है. चिन्हों के नाम. कोष्ठक चिन्ह के उदाहरण

पूर्ण विराम चिन्ह (।)

इसका अर्थ है, पूरी तरह रुकना या ठहरना। सामान्य दशा में वाक्य या विचार अंतिम दशा में पहुँचकर ठहर जाता है या विचार परिवर्तित होकर नवीन रूप धारण कर लेता है, तब इस चिन्ह का प्रयोग होता है। जैसे-यह गाय है। राम एक अच्छा लड़का है। वह साधु है। सीता सदैव कक्षा में प्रथम आती है। तुम गा रहे हो।

उपरोक्त सभी वाक्य स्वतंत्र हैं, उनका एक-दूसरे से कोई सम्बन्ध नहीं है। वे अपने में पूर्ण भी हैं। अतः प्रत्येक वाक्य के पूर्ण होने पर अंत में पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग होता है।

(i) कभी-कभी किसी वस्तु या घटना का सजीव वर्णन करते समय वाक्यांशों के अंत में पूर्ण विराम चिन्ह होता है। जैसे- सुन्दर मुखड़ा। कश्मीरी सेब जैसे गाल। मक्खी जैसी मूंछ। सिर के बाल साधारण रूप में। कानों के पास बालों में कुछ सफेदी। बड़ी-बड़ी आँखें। चौड़ा माथा।

विशेष – यहाँ व्यक्ति की मुख-मुद्रा का सजीव चित्र कुछ चुने शब्दों तथा वाक्यांशों में खींचा गया है। प्रत्येक वाक्यांश स्वयं में पूर्ण और स्वतंत्र हैं। अत: पूर्ण विराम का प्रयोग उचित है।

पूर्ण विराम का प्रयोग

पूर्ण विराम के प्रयोग में सावधानी न होने की दशा में कभी-कभी अत्यंत हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न हो जाती है। पूर्ण विराम चिन्ह किसी वाक्य के पूरा होने पर ही लगाते हैं। यहाँ एक त्रुटिपूर्ण पूर्ण विराम का उदाहरण है। रमेश मेरा छोटा भाई है। तथा वह कक्षा आठ में पढ़ता है। निम्नलिखित उदाहरण में अल्पविराम का चिन्ह लग गया है –

दृष्टव्य – उपरोक्त वाक्य में तथा से पहले पूर्ण विराम लगा दिया है जबकि तथा का अर्थ है कि वाक्य अभी पूरा नहीं हुआ है।

निम्नलिखित उदाहरण में अल्प विराम के स्थान पर विराम का गलत प्रयोग हो गया है –

“मैं मनुष्य को मनुष्य ही रहने देना चाहती हूँ। उसे देवता बनाने की मेरी इच्छा नहीं।’

विराम चिन्ह किसे कहते हैं

व्यंजन किसे कहते हैं

वर्णमाला किसे कहते हैं

Leave a Comment