उद्धरण चिन्ह (” “), उद्धरण चिन्ह के प्रयोग, इकहरा, दुहरा | udharan chinh

Udharan chinh -उद्धरण चिन्ह के वाक्य, उद्धरण चिन्ह का प्रयोग. उद्धरण चिन्ह कितने प्रकार का होता है. उद्धरण चिन्ह का प्रयोग कब किया जाता है. एकल उद्धरण चिन्ह. दोहरा उद्धरण चिन्ह. इकहरा उद्धरण चिन्ह.

उद्धरण चिन्ह

इस चिह्न दो रूपों में प्रयुक्त होता है- (i) इकहरा (‘ ‘)  (ii) दुहरा (” “)

इकहरा

जहाँ किसी पुस्तक से कोई वाक्य या कथन ज्यों का त्यों उतारा जाये तब दोहरे उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है तथा कोई शब्द, पद या वाक्य-खण्ड विशेष अर्थ या उद्देश्य से किया जाता है, वहाँ इकहरे उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे -“जीवन विश्व की सम्पत्ति है।” जयशंकर प्रसाद ‘कामायनी‘ की कथा संक्षेप में लिखिए।

दुहरा

पुस्तक, समाचार पत्र, लेखक का उपनाम, लेख का शीर्षक आदि उद्धत करते समय इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है।
जैसे – ‘निराला’ पागल नहीं थे।

‘गोदान’ एक मार्मिक उपन्यास है।

‘किशोर भारती’ का प्रकाशन हर महीने होता है।

‘जूही की कली’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

‘भगवान के डाकिये’ एक उत्तम कविता है।

‘सिद्ध राज’ एक अच्छे कवि थे।

‘लक्ष्मण’ एक प्रसिद्ध व्यंग्यकार हैं।

‘प्रदीप’ एक हिन्दी दैनिक पत्र है।

महत्त्वपूर्ण कथन – कहावत, संधि आदि उद्धत करने के लिए दोहरे उद्धरण चिन्ह का प्रयोग होता है। जैसे-भारतेन्दु ने कहा था, “देश को राष्ट्रीय साहित्य चाहिए।” प्रेमचन्द ने कहा, “जब तक किसान सुखी नहीं तब तक कोई सुखी नहीं।”

विस्मयादि बोधक चिन्ह (!) तथा इसके प्रयोग

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